दिल्ली में यहाँ पर लगेगा डेयरी बायोमीथेन पावर प्लांट
11 FEB: उत्तरी दिल्ली नगर निगम भलस्वा डेयरी में बायोमीथेन पावर प्लांट लगाने के लिए योजना तैयार कर रहा है। प्लांट लगने का फायदा यह होगा कि यहाँ गोबर से बिजली बनाई जाएगी।भलस्वा डेयरी को 40 साल पहले बसाया गया था। यहां पर कई डेयरी संचालित होती है।
यहाँ पर डेयरी बायोमीथेन पावर प्लांट लगाने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि यहाँ पर पशुओं के गोबर के गोबर के निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है | इसलिए डेयरी संचालक उसे नालियों में बहा देते है। जिससे वहां के आसपास के इलाके में काफी गन्दगी रहती है और भलस्वा झील में भी बहुत गंदगी होती है। ऐसे में झील की सेहत में लगातार बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
यहाँ लगने वाले प्लांट से गोबर का इस्तेमाल करके बिजली पैदा की जायेगी जिससे झील और आसपास का इलाका साफ़ रह सकेगा | इस झील को बाद में पर्यटन के लिहाज से भी संवारा जाएगा |
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Delhi Municipal Corporation will establish Bio-methane Power Plant
श्वेत क्रांति के जनक की प्रेरणादायक कहानी
Story of Verghese Kurien : The Milk man of India (Father of Milk Revolution in India) :-
हर साल 26 नवम्बर को वर्गीज़ कुरियन का जन्मदिन मनाया जाता है | उन्हें श्वेत क्रान्ति का जनम माना जाता है | श्वेत क्रांति की बदौलत भारत आज विश्वा में दुग्ध उत्पादन में नंबर 1 है | कुरियन ने गुजरात के एक छोटे से कसबे आणंद से AMUL (Anand Milk Union Limited ) की शुरुवात की | आज अमूल हर घर में जाना पहचाना नाम है |
कुरियन के जन्मदिन को राष्ट्रीय दूध दिवस के रूप में मनाया जाता है |
कुरियन के जन्मदिन को राष्ट्रीय दूध दिवस के रूप में मनाया जाता है |
यह भी जानें : भारत में कैसे शुरू करें डेयरी व्यवसाय ?| How to Start Dairy Farming Business in India ? - For Farmers and Entrenepreurs
जन्म
वर्गीज़ कुरियन का जन्म केरल के कोझिकोड में 26 नवंबर, 1921 को हुआ था। उन्होंने चेन्नई के लोयला कॉलेज से 1940 में विज्ञान में स्नातक किया और चेन्नई के ही जीसी इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। कुछ समय तक उन्होंने जमशेदपुर स्थित टिस्को में काम किया और बाद में डेयरी इंजीनियरिंग में अध्ययन करने के लिए भारत सरकार की ओर से छात्रवृत्ति मिलने के बाद बेंगलुरु के इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल हजबेंड्री एंड डेयरिंग में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने मिशीगन स्टेट यूनिवर्सिटी से 1948 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की, जिसमें डेयरी इंजीनियरिंग भी एक विषय था।
कैरियर | Career of Verghese Kurien
डॉ वर्गीज कुरियन वर्ष 1948 में अमेरिका से वापस भारत आकर सरकार के डेयरी विभाग में शामिल हो गए। मई 1949 में उन्हें गुजरात के आणंद में सरकारी अनुसंधान क्रीमरी में डेयरी इंजीनियर का पद मिला । इसी दौरान कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड (KDCMPUL), निजी स्वामित्व वाले पॉलसन डेयरी से मुकाबला करने के लिए संघर्षरत था। इस चुनौती से प्रेरित होकर डॉ कुरियन ने अपनी नौकरी छोड़ दी और दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने में KDCMPUL के अध्यक्ष त्रिभुवनदास पटेल की सहायता के लिए आगे आये। इस तरह अमूल का जन्म हुआ।
भैंस के दूध से पहली बार पाउडर बनाने का श्रेय भी कुरियन को जाता है।
अमूल की सफलता से आशान्वित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने अमूल मॉडल को देश के अन्य स्थानों पर फैलाने के लिए राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (NDDB) का गठन 1965 में किया और डॉ कुरियन को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। एनडीडीबी ने वर्ष 1970 में ‘ऑपरेशन फ्लड की शुरुआत की जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक बन गया। कुरियन 1965 से 1998 तक 33 साल एनडीडीबी के अध्यक्ष रहे। साठ के दशक में देश में दूध की खपत जहां लगभग दो करोड़ टन थी वहीं 2011 में जाकर यह 12.2 करोड़ टन तक पहुंच गई।
व्यक्तित्व | Personality of Verghese Kurien
वर्गीज़ कुरियन हमेशा से किसानों को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे, इसलिए देश में दुग्ध क्रान्ति लाना हमेशा से उनकी प्राथमिकता रही |
कहा जाता है कि एक बार कृषि मंत्री की नज़र उन पर टेढ़ी हुई. उस मंत्री ने उन्हें राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के निदेशक के पद से हटाने की जोरदार कोशिश की जिसके संस्थापक सदस्यों में से कुरियन एक थे. लेकिन हुआ इसके विपरीत. मंत्री को ‘डोंट टच कुरियन’ की चेतावनी देते हुए बर्खास्त कर दिया गया.
उनका सरल स्वभाव हर किसी को भाता था |
उनका सरल स्वभाव हर किसी को भाता था |
पुरूस्कार और सम्मान | Awards and Honor
डॉ॰ कुरियन को पद्म विभूषण (भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान), विश्व खाद्य पुरस्कार और सामुदायिक नेतृत्व के लिए मैगसेसे पुरस्कार सहित कई पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया था |निधन | Death
अरबों रुपए वाले ब्रांड ‘अमूल’ को जन्म देने वाले कुरियन का 9 सितम्बर 2012 को सुबह 90 वर्ष की आयु में नाडियाड, गुजरात में निधन हो गया। कुरियन के इस महान योगदान को दुनिया कभी नहीं भूल पाएगी |
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Success Story: Left Government Job to serve milk to every Indian Home and become Father of Milk Revolution
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