Nimari Cow & Bull: Characteristics and Performance of Nimari Cattle
निमारी भारत में मवेशियों की एक नस्ल है। मध्यप्रदेश राज्य की नर्मदा नदी की घाटी के निमारी क्षेत्र में इसकी उत्पत्ति हुई है | खरगांव, खर्गोनी, खुर्गोनी आदि नामों से जाने जाने वाले इन पशुओं का निमारी नाम अपने मूल निमाड़ क्षेत्र की वजह से मिला है |
निमारी नस्ल की शारीरिक विशेषता :-
इस नस्ल के पशु माध्यम से लेकर बड़े आकार में पाए जाते हैं और ये स्वभाव में थोड़े आक्रामक होते हैं | निमारी प्रजाति की गायों का रूपरंग मूलतः गिर और खल्लारी से मेल खाता है। इस पर भूरापन लिए हुए लाल रंग के साथ जगह-जगह बड़े सफेद धब्बे होते हैं।
शरीर पर धब्बे होने के कारण इसे स्थानीय भाषा में चितकबरी भी कहते हैं | यह दिखने में तांबे के रंग की होती है। सिंग सींग पीछे की ओर मुड़े रहते है जैसा की हम गिर नस्ल में देख सकतें हैं | बड़ा सिर, उभरा माथा निमारी को एक आकर्षक रूप देता है |
इनके कान लम्बे तथा चौड़े होते हैं | लम्बे कान होने के बावजूद ये लटकते हुए नहीं रहते हैं. शरीर लम्बा होता है तथा पीठ सीधी होती है . बैलों में कूबड़ अच्छी तरह से विकसित होता है |
निमारी नस्ल की अन्य विशेषता :-
इस भारवाही नस्ल का विकास गिर एवं खिल्लार नस्लों से किया गया है| निमारी प्रजाति के गोवंश काफी फूर्तिले होते हैं।
मुख्यतः इन पशुओं को परिवहन तथा तथा कृषि कार्यों के लिए पाला जाता है |
निमारी गाय का दूध उत्पादन : -
निमारी गाय की पहले ब्यांत में औसत आयु 44 और 54 महीने की होती है. इसकी प्रजनन की अवधि 235 से 550 दिनों की होती है ।
निमारी नस्ल की गाये मध्यम दूध देती हैं. ये गाये प्रतिदिन 2 – 3 1/2 लीटर तक दूध देती हैं | अगर इनकी अच्छी देखभाल की जाए तो ये काफी दूध देते हैं।
अपनी उपयोगिता के कारण निमारी नस्ल महाराष्ट्र एवं दूसरे राज्यों में भी लोकप्रिय है |
अगर आप इस गाय/ बैल के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो फिर नीचे दिया गया विडियो देखिये
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निमारी नस्ल की शारीरिक विशेषता :-
इस नस्ल के पशु माध्यम से लेकर बड़े आकार में पाए जाते हैं और ये स्वभाव में थोड़े आक्रामक होते हैं | निमारी प्रजाति की गायों का रूपरंग मूलतः गिर और खल्लारी से मेल खाता है। इस पर भूरापन लिए हुए लाल रंग के साथ जगह-जगह बड़े सफेद धब्बे होते हैं।
शरीर पर धब्बे होने के कारण इसे स्थानीय भाषा में चितकबरी भी कहते हैं | यह दिखने में तांबे के रंग की होती है। सिंग सींग पीछे की ओर मुड़े रहते है जैसा की हम गिर नस्ल में देख सकतें हैं | बड़ा सिर, उभरा माथा निमारी को एक आकर्षक रूप देता है |
इनके कान लम्बे तथा चौड़े होते हैं | लम्बे कान होने के बावजूद ये लटकते हुए नहीं रहते हैं. शरीर लम्बा होता है तथा पीठ सीधी होती है . बैलों में कूबड़ अच्छी तरह से विकसित होता है |
निमारी नस्ल की अन्य विशेषता :-
इस भारवाही नस्ल का विकास गिर एवं खिल्लार नस्लों से किया गया है| निमारी प्रजाति के गोवंश काफी फूर्तिले होते हैं।
मुख्यतः इन पशुओं को परिवहन तथा तथा कृषि कार्यों के लिए पाला जाता है |
निमारी गाय का दूध उत्पादन : -
निमारी गाय की पहले ब्यांत में औसत आयु 44 और 54 महीने की होती है. इसकी प्रजनन की अवधि 235 से 550 दिनों की होती है ।
निमारी नस्ल की गाये मध्यम दूध देती हैं. ये गाये प्रतिदिन 2 – 3 1/2 लीटर तक दूध देती हैं | अगर इनकी अच्छी देखभाल की जाए तो ये काफी दूध देते हैं।
अपनी उपयोगिता के कारण निमारी नस्ल महाराष्ट्र एवं दूसरे राज्यों में भी लोकप्रिय है |
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Posted by Unknown at 4:50 AM No comments :
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