Goat Farming: Jamunapari Goat Benefits - जमुनापारी बकरी की विशेषताएं
जमुनापारी बकरी तथा उसकी विशेषताएं
जमुनापारी बकरी उत्तर प्रदेश के इटावा जिले एवं गंगा, यमुना तथा चम्बल नदियों से घिरे क्षेत्र में पायी जाती है। जमुनापारी बकरी को भारत में सबसे अच्छी डेयरी बकरी के रूप में जाना जाता है। जमुनापारी बकरी बहुत ही सुंदर डेयरी बकरी की नस्ल होती है जो भारत में उत्पन्न मानी जाती है
इसकी नाक काफी उभरी रहती हैं। जिसे ‘रोमन’ नाक कहते हैं। सींग छोटा एवं चौड़ा होता है। कान 10-12 इंच लम्बा, चौड़ा मुड़ा हुआ तथा लटकता रहता है। इसकी पूंछ छोटी होती है और आम तौर पर ऊपर की ओर मुड़ी हुई रहती है । इसके जाँघ में पीछे की ओर काफी लम्बे घने बाल होते हैं। ये सफेद, काले, भूरे या विभिन्न मिश्रित रंग की होती हैं। इसके शरीर पर सफेद एवं लाल रंग के लम्बे बाल पाये जाते हैं। इसका शरीर बेलनाकार होता है। वयस्क नर का औसत वजन 70-90 किलो ग्राम तथा मादा का वजन 50-60 किलो ग्राम होता है।
जमीनी घास चरने के बजाए यह झाड़ियों, पेड़ के पत्ते को खाना पसंद करती है । ये अपनी छोटी नाक कि वजह से छोटी घास नहीं खा सकती लेकिन stall feeding system में इसे कोई परेशानी नहीं होती है । इसका मांस रेशदार और शख्त होता है इसलिए कुछ क्षेत्रों में इसका मांस पसंद नहीं किया जाता है।शरीर के आकार और इसकी वृद्धि के चलते इसे खाना भी भरपेट चाहिए होता है। कई क्षेत्रों में जमनापरी को cross breed में प्रोयोग में लाई जाती है । इसके बच्चों का जन्म समय औसत वजन 2.5-3 किलोग्राम होता है।
इस नस्ल की बकरियाँ दूध तथा मांस उत्पादन हेतु उपयुक्त मानी जाती है। इस नस्ल की बकरियाँ औसतन 1.5 से 2.50 लीटर दूध प्रतिदिन देती है। ये बकरियाँ सलाना एक बार बच्चा देती है और बार में 1 या 2 से अधिक बच्चों को जन्म नहीं देती है ।
जमुनापारी नस्ल के बकरों का प्रयोग अपने देश के विभिन्न जलवायु में पायी जाने वाली अन्य छोटे तथा मध्यम आकार की बकरियाँ के नस्ल सुधार हेतु किया गया। वैज्ञानिक अनुसंधान से यह पता चला कि जमनापारी सभी जलवायु के लिए उपयुक्त नही हैं।
शारीरिक विशेषता: -
जमुनापारी बकरी अन्य नस्लों की तुलना में सबसे उँची तथा लम्बी होती हैइसकी नाक काफी उभरी रहती हैं। जिसे ‘रोमन’ नाक कहते हैं। सींग छोटा एवं चौड़ा होता है। कान 10-12 इंच लम्बा, चौड़ा मुड़ा हुआ तथा लटकता रहता है। इसकी पूंछ छोटी होती है और आम तौर पर ऊपर की ओर मुड़ी हुई रहती है । इसके जाँघ में पीछे की ओर काफी लम्बे घने बाल होते हैं। ये सफेद, काले, भूरे या विभिन्न मिश्रित रंग की होती हैं। इसके शरीर पर सफेद एवं लाल रंग के लम्बे बाल पाये जाते हैं। इसका शरीर बेलनाकार होता है। वयस्क नर का औसत वजन 70-90 किलो ग्राम तथा मादा का वजन 50-60 किलो ग्राम होता है।
जमीनी घास चरने के बजाए यह झाड़ियों, पेड़ के पत्ते को खाना पसंद करती है । ये अपनी छोटी नाक कि वजह से छोटी घास नहीं खा सकती लेकिन stall feeding system में इसे कोई परेशानी नहीं होती है । इसका मांस रेशदार और शख्त होता है इसलिए कुछ क्षेत्रों में इसका मांस पसंद नहीं किया जाता है।शरीर के आकार और इसकी वृद्धि के चलते इसे खाना भी भरपेट चाहिए होता है। कई क्षेत्रों में जमनापरी को cross breed में प्रोयोग में लाई जाती है । इसके बच्चों का जन्म समय औसत वजन 2.5-3 किलोग्राम होता है।
इस नस्ल की बकरियाँ दूध तथा मांस उत्पादन हेतु उपयुक्त मानी जाती है। इस नस्ल की बकरियाँ औसतन 1.5 से 2.50 लीटर दूध प्रतिदिन देती है। ये बकरियाँ सलाना एक बार बच्चा देती है और बार में 1 या 2 से अधिक बच्चों को जन्म नहीं देती है ।
जमुनापारी नस्ल के बकरों का प्रयोग अपने देश के विभिन्न जलवायु में पायी जाने वाली अन्य छोटे तथा मध्यम आकार की बकरियाँ के नस्ल सुधार हेतु किया गया। वैज्ञानिक अनुसंधान से यह पता चला कि जमनापारी सभी जलवायु के लिए उपयुक्त नही हैं।
नीचे दिए गये Video में आप 'जमुनापरी बकरी ' की विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे ।
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Posted by Unknown at 5:27 AM No comments :
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