How to Prevent Sun Stroke in Cattles - डेयरी पशुओं को गर्मियों में “ लू ” से कैसे बचाएं ?

लू से कैसे बचायें पशुओं को ?

भारत गर्म जलवायु वाला देश है, मई, जून के महीने में हर दिन 40 से लेकर 45 डिग्री तापमान होता है। धूल भरी आंधिया,  गर्म लू की लपटें इस मौसम की खास विशेषता है. बढ़ती गर्मी जहाँ इंसानों के लिए खतरा है वहीँ पशुओं के लिए भी यह मुसीबत बनी हुई है। गर्मी की पीड़ा मनुशियों से अधिक मूक पशुओं को ही सहन करनी पड़ती है,

मौसम की विभिन्नता, इसके बदलाव की स्थिति में पशु के लिए विशेष प्रबंध करने की आवश्यकता रहती है। देश के अधिकतर इलाकों में गर्मी काफी तेज पड़ती है। जरा सी लापरवाही से किसानों को पशुधन की क्षति हो सकती है।

अधिक गर्म समय में लू लगने के कारण पशु को तेज बुखार आ जाता है और बेचैनी बढ़ जाती है.  वातावरण में नमी और ठंडक की कमी , पशु आवास में स्वच्छ वायु न आना, कम स्थान में अधिक पशु रखना और गर्मी के मौसम में पशु को पर्याप्त मात्रा में पानी न पिलाना इसके प्रमुख कारण हैं। लू अधिक लगने पर पशु मर भी सकता है |

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लू के लक्षण :-
पशुओं को आहार लेने में अरुचि, तेज बुखार, हांफना, मुंह से जीभ बाहर निकलना, मुंह के आसपास झाग आ जाना, आंख व नाक लाल होना, नाक से खून बहना, पतला दस्त होना,  श्वास कमजोर पड़ जाना, उसकी  हृदय की धड़कन तेज होना आदि लू-लगने के प्रमुख लक्षण है।

उपचार:-
लू से पशुओं को बचाने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिये :-
1. डेरी को इस प्रकार बनाये की सभी जानवरों के लिए उचित स्थान हो ताकि हवा को आने जाने के लिए जगह मिले, ध्यान रहे की शेड खुला हवादार हो
2. पशु को प्रतिदिन 1-2 बार ठंडे पानी से नहलाना चाहिए.
3. पशु के लिए पानी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए
4. मवेशियों को गर्मी से बचाने के लिए पशुपालक उनके आवास में पंखे, कूलर और  फव्वारा सिस्टम लगा सकते हैं
5. दिन के समय में उन्हें अन्दर बांध कर रखें ।
6. लू की चपेट में आने पर पशु को तुरंत चिकित्सक को दिखाएं ।

पशु आहार
गर्मी के मौसम में दुग्ध उत्पादन एवं पशु की शारीरिक क्षमता बनाये रखने की दृष्टि से पशु आहार का भी महत्वपूर्ण योगदान है. गर्मी के मौसम में पशुओं को हरे चारे की अधिक मात्रा उपलब्ध कराना चाहिए. इसके दो लाभ हैं, एक पशु अधिक चाव से स्वादिष्ट एवं पौष्टिक चारा खाकर अपनी उदरपूर्ति करता है, तथा दूसरा हरे चारे में 70-90 प्रतिशत तक पानी की मात्रा होती है, जो समय-समय पर जल की पूर्ति करता है. प्राय: गर्मी में मौसम में हरे चारे का अभाव रहता है. इसलिए पशुपालक को चाहिए कि गर्मी के मौसम में हरे चारे के लिए मार्च, अप्रैल माह में मूंग , मक्का, काऊपी, बरबटी आदि की बुवाई कर दें जिससे गर्मी के मौसम में पशुओं को हरा चारा उपलब्ध हो सके. ऐसे पशुपालन जिनके पास सिंचित भूमि नहीं है, उन्हें समय से पहले हरी घास काटकर एवं सुखाकर तैयार कर लेना चाहिए. यह घास प्रोटीन युक्त, हल्की व पौष्टिक होती है.

पानी व्यवस्था
इस मौसम में पशुओं को भूख कम लगती है और प्यास अधिक. इसलिए पशुओं को पर्याप्त मात्रा में दिन में कम से कम तीन बार पानी पिलाना चाहिए. जिससे शरीर के तापक्रम को नियंत्रित करनेे में मदद मिलती है. इसके अलावा पशु को पानी में थोड़ी मात्रा में नमक एवं आटा मिलाकर पानी पिलाना चाहिए।

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